Tuesday 21 August 2012


अंजाना

मिलते है बिछड़ते है जीवन की राहों पर;
यही है दस्तुर दुनिया की ।

अंजान व्यक्ति हर किसी के रास्ते में आते-जाते हैं,
कोइ अपना हो जाता है तो कोइ अंजाना हो जाता है,
दूर होकर भी वह अपने पास होता ।

कोइ एक पल के लिये रुकता है तो कोइ सारी उम्र के लिये ।
समय ये कैसा है,कोइ खुशी दे जाता है तो कोइ गम ।

आते है जीवन में ऐसे भी लोग जो हमें सीख दे जाते हैं,
दुख के सहारे हमें छोड़कर ;खुशियाँ हमारी ले जाते हैं,
यही है दस्तूर दुनिया की..।

वो अंजाना था....
अंजाना है....
और अंजाना ही रहेगा....
यही है दस्तूर दुनिया की ।

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